हमारे देश के जवान देश के लिए मरना नहीं चाहते बल्कि देश के लिए जीना चाहते हैं।
15 अगस्त का पता हमें कैसे चलता हैं?
जब स्कूल में 2-3 पहले से तैयारी शुरु हो जाती हैं, या फिर तब जब online shopping पे sale आ जाता हैं, या फिर कुछ लोग लाल किले पर हमारे Prime Minister का भाशण सुनने का इंतज़ार करते हैं।
और हम इसे मनाते कैसे है, एक दिन की छुट्टी मना के, या फिर Malls में मिल रहे discounts में shopping कर के,या फिर TV पे आ रहे कुछ देशभक्ती कि फिल्मे देख के । कुछ लोग तो इस गम मे जी रहे हैं कि इस साल 15 अगस्त शनिवार को हैं और उनकी एक छुट्टी चली गई।
क्या यही तरीका होना चाहिए हमें हमारा आज़ादी का दिन मनाने का ?
वैसे यहां कि बात ही नीराली है, यहां के लोगो को उन सारे आतंकवादीयों के नाम याद हैं लेकिन क्या किसी को हमारे शहीदों के नाम मालूल हैं जिन्होने हमे बचाने के लिए अपनी जान दे दि।
क्या रोड पे उनकी मूर्ती बना देने से हमारा काम खत्म हो जाता है? वो लोग अपना घर, अपने मॉ बाप , अपने बच्चो को छोड़ कर अपनी जान देते है ताकी हम अपने घरों में चैन कि नींद सो सके।
अगर हम आकंड़ो कि बात करे तो 1947 ले अब तक 22413 जवान हमारी रछा करते हुए अपनी जान दी, लेकिन क्या हम उनके बलिदान का हीसाब ठीक से कर पाऐ हैं?हम फल्मी सितारों के पीछे अन्धे होकर भागते हैं लेकिन जो हमारे असली हीरो हैं उनके नाम तक नहीं जानते हैं हम।
काश हम सिर्फ बाते करने के बजाऐ कुछ कर पातें । हमारे देश के जवान देश के लिए मरना नहीं चाहते बल्कि देश के लिए जीना चाहते हैं।
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In case we haven’t met before, here’s the short version of who I am, a chatterbox, crazy, sassy daughter of a Teacher. He is an educator, I am a writer. He is a thinker and I am a creator. This is my personal and little corner of the internet in which I share my views and opinion on some topics.
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