कभी कभी के ख्याल !

कभी कभी लगता है की ज़िन्दगी अगर करन जौहर की  तीन गंटे के फिल्म होती तो कितना अच्छा होता। हम पैदा ही अमीर होते ... कहीं किसी यूरोप के टूर पे कोई शाहरुख़ types मिलता फिर प्यार फिर घर में घरवालो को मानाने का सिलसिला शुरू होता।  और आखिर में मेरे daddy मझे बोलते जा Shreya जा जी ले अपनी ज़िन्दगी। पर क्योंकि मेरे Daddy, Ambrish Puri नहीं है और मेरी ज़िन्दगी कोई फिल्म नहीं है, अबतो ज़िंदगी भी कहती है की Bhai Bajate Raho !   

आज मुझे घर से निकले कूछ 5 महीने हो गए है, और उम्र वो तो आप सभी को पता ही है!
ऐसी जिंदंगी की चाहत काफी दिनों से पाल रखा था हमने की एक अनजान शहर में अकेले रहूंगी, अनजान लोगो के साथ काम करुँगी, सारे काम अकेले ही करुँगी तब कहीं शायद बड़ी हो जाऊ! कभी कभी जब hostel में अकेली होती हूँ तो सोचती हूँ की क्या कर रही हूँ मै  अपने आप के साथ शायद वक्त से पहले बड़ी होने निकल गई और क्या ये वही ज़िन्दगी है जो मैंने कभी अपने लिए  थी?? नहीं बिलकुल भी नहीं। पर फिर लगता है के अच्छा ही है इतने बचपन में कौन काम करता है भाई :-p
यूं तो दूर से देखने वाले लोग बहुत सी बाते बनाते के अब क्या चाहिए Persuing Graduation  में ही लड़की काम करने निकल गई, कमा रही है।  पर जिसपे बिताती  है बाबु मोशाई उससे ही जा कर पूछो के कितना सुकून है।  जब हर रोज आपको सबके सामने बताना पड़े के आप भी यह गुइया छिलने नहीं आए हो काम करने आए हो तब पता लगता है के माँ बाप के पैसे जो आज तक उड़ाए है वो उन्होंने  कितनी मेहनत से कमाए है। 
अब तो सच में लगता है के माँ बाप के पैसो से ख्वाहिशे पूरी होती थी और अब बस जरुरत की चीजे आती है।अब सच में ये में ये एहसास होता है की फिर से Pencil पकड़ा दो, मुझे बड़ा नहीं होना ! मैं एक Metro driver की तरह हो कर रह गई हूँ, सफर में तो है लेकिन मंज़िल का पता नहीं। 
वैसे ज़िन्दगी के बड़े होने के इंतज़ार में दिन कटते जा रहे है।  लेकिन हाँ इतना तो खुद पे भी विश्वास है की ज़िन्दगी को बड़ा कर के रहूंगी।  माँ कसम !! 
(P.S- Random Thoughts)

Though of sharing   

Innocence

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