गुज़ारिश

बैठी हूं ठंडी ज़मीन पर.....आखों में आपके ही ख्वाब लिये..... आज फिर आप याद आए.....फिर से मेरे आखों को भीगा गए....... आप क्यों चले गए ......एक आप ही तो थे जिससे मै अपनी सारी बातें बताती थी.....आप ही थे जिससे मुझे सबसे ज्यादा प्यार था। आप ही तो मुझे अपना Brave boy मानते थे ना..... फिर क्यों चले गए आप पापा... आप तो घर आए ही नहीं पापा....आई तो बस एक बुरी खबर......जिसने सबको हीला के रख दिया..... Blast...bomb blast एक ऐसा blast जिसने मुझसे मेरे पापा को मुझसे छीन लिया पहले सोचती थी कि आपकी कदर नहीं करतीं......पर कदर तो आज भी हैं बस आपको ना खोने के एहसास ने अन्धा कर दिया था.....पूरा करूगीं हर ख़ाब आपका.....वो सबकुछ.... वो सारे सपने जो आपने मेरे लिए देखे ........बन के दिखाऊगी Brave boy आपका बस इतनी सी गुज़ारिश हैं... ना चाहती हूँ बादलों से बारिश ना फुलो से खुशबू ना सूरज की रैशनी मै आपको चाहती हूँ पापा फिर से बिल्कुल वैसे ही जैसे हम पहले रहा करते थे.... बन के दिखाऊगी कुछ.... अब कुछ ऐसा के मेरी तरह कोई और ना रोऐ......... कोई और अपने पापा को ना खोऐ.....।

Innocence

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